पाली भारत के राजस्थान राज्य का जिला मुख्यालय है। और संभाग मुख्यालय भी है और आईजी रेंज मुख्यालय भी है, पाली के दक्षिण पश्चिमी भाग में बांडी नदी के किनारे पर बसा। यहाँ राजस्थान की सबसे बड़ी सूती वस्त्र का कारखाना स्थित है। पाली शहर का रंगाई-छपाई और वस्त्र उद्योग प्रसिद्ध है। यह शहर पालीवाल ब्राह्मणों की नगरी है। पाली बड़े शहरों में आता है पाली में नगर निगम है और वर्तमान में पाली नगर विकास न्यास (युआईटी) है।

क्षेत्र

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पाली भारत के राजस्थान राज्य का एक प्रमुख जिला है। यह पश्चिमी राजस्थान में स्थित है और ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं औद्योगिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। पाली जिले की सीमाएँ जोधपुर, नागौर, अजमेर, राजसमंद, उदयपुर, सिरोही और जालोर जिलों से मिलती हैं।

पाली शहर इसी नाम के जिले का मुख्यालय है। यह शहर लूनी नदी के किनारे बसा हुआ है और अपने कपड़ा उद्योग, मारवाड़ी संस्कृति, तथा ऐतिहासिक मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है।


अन्य जानकारी

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इतिहास

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पाली का ऐतिहासिक नाम "पालीपट्टन" था। यह प्राचीन काल में एक व्यापारिक केंद्र था। पाली को गुहिल, राठौड़, चौहान और सिसोदिया जैसे कई शासकों ने शासित किया है। यहाँ पर जैन धर्म और वैदिक संस्कृति का भी गहरा प्रभाव रहा है।

पाली पर भील राजा का आधिपत्य था उनके पुत्र का नाम 'राजकुमार जावा' था , उन्हें एक ब्राह्मण लड़की से प्यार हो गया था उन्होंने यह बात उस ब्राह्मण को बताई, ब्राह्मण भील राजा से युद्ध नहीं कर सकता था उसने भील राजा को हाँ कर दी , लेकिन वह दिल्ली के सुल्तान मुहम्मद गोरी से सहायता लेने पहुंचा लेकिन दिल्ली के राजा और भील राजा एक दूसरे के मित्र थे उन्होंने ब्राह्मण को सहायता देने से मना कर दिया तब वह ब्राह्मण कन्नौज के सलखोजी राठौर के पास गया , सलखोजी राठौर और ब्राहमण ने षड़यंत्र रचा और भील राजा को खूब मदिरापान कराया और उनकी हत्या कर दी , और सलखोजी ने पाली पर अधिकार कर लिया ।

मोहम्मद गोरी के खिलाफ महान योद्धा पृथ्वीराज चौहान की हार के बाद क्षेत्र की राजपूत शक्ति का विघटन हो गया और मेवाड़ और पाली का गोडवाड़ क्षेत्र मेवाड़ के तत्कालीन शासक महाराणा कुंभा के अधीन हो गया। लेकिन पाली शहर जिस पर उसके ब्राह्मण शासकों का शासन था, जिसे अब पालीवाल ब्राह्मण (राजपुरोहित) के रूप में जाना जाता है, शांतिपूर्ण और प्रगतिशील बना रहा।

16वीं और 17वीं शताब्दी में पाली के आसपास के क्षेत्रों में कई युद्ध हुए। गिन्नी के युद्ध में शेरशाह सूरी को राजपूत शासकों ने हराया था, मुगल बादशाह अकबर की सेना का गोडवाड क्षेत्र में महाराणा प्रताप से लगातार युद्ध हुआ था। एक बार फिर मुगलों द्वारा लगभग पूरे राजपुताना पर विजय प्राप्त करने के बाद, मारवाड़ के वीर दुर्गा दास राठौड़ ने अंतिम मुगल बादशाह औरंगजेब से मारवाड़ क्षेत्र को छुड़ाने के लिए संगठित प्रयास किए। तब तक पाली मारवाड़ राज्य के राठौरों के अधीन हो गया था। महाराजा विजय सिंह द्वारा पाली का पुनर्वास किया गया और जल्द ही यह एक महत्वपूर्ण व्यावसायिक केंद्र बन गया।

स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका: ब्रिटिश शासन के तहत पाली ने मारवाड़ में स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व करके एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आउवा के ठाकुर, जो सबसे शक्तिशाली थे, के नेतृत्व में पाली के विभिन्न ठाकुरों ने ब्रिटिश शासन का सामना किया। आउवा किला ब्रिटिश सेना से घिरा हुआ था और फिर 5 दिनों तक संघर्ष चला, जब अंत में किले पर ब्रिटिश सेना का कब्जा हो गया। लेकिन आउवा की इस वीरतापूर्ण कार्रवाई ने स्वतंत्रता के लिए निरंतर और संगठित संघर्ष का मार्ग प्रशस्त किया।

तृतीय स्तर शीर्षक

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पाली में अनेक प्राचीन मंदिर हैं जैसे परशुराम महादेव मंदिर, सोमनाथ मंदिर और रणकपुर का जैन मंदिर जो स्थापत्य कला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं।

चतुर्थ स्तर शीर्षक

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पाली का ऐतिहासिक महत्व मुग़लकाल में भी बना रहा। यहाँ के व्यापारियों ने कई सामाजिक और धार्मिक संस्थाएं स्थापित कीं।

मौसम

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पाली का मौसम मुख्यतः शुष्क और गर्म होता है।

गर्मी (मार्च से जून): तापमान 45°C तक पहुँच सकता है।

मानसून (जुलाई से सितम्बर): औसत वर्षा होती है।

सर्दी (नवम्बर से फरवरी): मौसम सुहावना होता है, तापमान 8°C तक गिर सकता है।


यात्रा

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पाली एक प्रमुख मार्ग पर स्थित है और यहाँ पहुँचना सुविधाजनक है।

वीजा

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यदि आप भारत के बाहर से पाली यात्रा करना चाहते हैं, तो भारत सरकार द्वारा जारी पर्यटक वीजा आवश्यक होगा।

विमान द्वारा

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पाली के सबसे नजदीकी हवाई अड्डे जोधपुर (लगभग 70 किमी) और उदयपुर (लगभग 160 किमी) में स्थित हैं। यहाँ से टैक्सी या बस द्वारा पाली पहुँचा जा सकता है।

बस द्वारा

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पाली राजस्थान राज्य परिवहन निगम (RSRTC) की बस सेवाओं से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। जोधपुर, जयपुर, उदयपुर और अहमदाबाद से नियमित बसें चलती हैं।

रेल द्वारा

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पाली जंक्शन पश्चिम रेलवे के जोधपुर मंडल के अंतर्गत आता है। यह दिल्ली, जयपुर, जोधपुर, मुंबई, अहमदाबाद आदि से रेल मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है।

देखे

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रणकपुर जैन मंदिर

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रणकपुर जैन मंदिर राजस्थान के पाली जिले में स्थित एक प्रसिद्ध जैन तीर्थ है। यह मंदिर 15वीं शताब्दी में बना था और इसे चौमुखा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इसकी संरचना चार दिशाओं में मुख वाली है। यह मंदिर भगवान आदिनाथ को समर्पित है और सफेद संगमरमर से बना हुआ है। इसमें 1444 खूबसूरती से नक्काशी किए गए स्तंभ हैं, जिनमें से कोई भी एक-दूसरे से समान नहीं है।

परशुराम महादेव मंदिर

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परशुराम महादेव मंदिर राजस्थान के पाली जिले की अरावली पर्वतमाला में स्थित एक प्राचीन गुफा मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और मान्यता है कि इसे भगवान परशुराम ने स्वयं अपनी कुल्हाड़ी से पहाड़ को काटकर बनाया था। गुफा के अंदर शिवलिंग स्थापित है और इसके चारों ओर प्राकृतिक रूप से बनी चट्टानों की संरचना अद्भुत है। मंदिर तक पहुँचने के लिए श्रद्धालुओं को करीब 500 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। यह स्थान धार्मिक आस्था के साथ-साथ प्रकृति प्रेमियों के लिए भी एक आकर्षक और शांत स्थल है।

ओम बन्ना मंदिर

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ओम बन्ना मंदिर, जिसे बुलेट बाबा मंदिर भी कहा जाता है, राजस्थान के पाली जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग-62 पर स्थित है। यह मंदिर ओम सिंह राठौड़ की स्मृति में बना है, जिनकी 1988 में सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। मान्यता है कि उनकी मोटरसाइकिल बार-बार थाने से अपने आप दुर्घटनास्थल पर लौट आती थी, जिसे चमत्कार मानते हुए लोगों ने वहाँ मंदिर बनवाया। मंदिर में ओम बन्ना की तस्वीर और उनकी रॉयल एनफील्ड बुलेट की पूजा होती है। यात्री यहाँ रुककर अपनी यात्रा की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करते हैं।

नवलखा मंदिर

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नवलखा मंदिर, पाली (राजस्थान) के जय नारायण व्यास कॉलोनी में स्थित एक प्राचीन जैन मंदिर है, जो 10वीं शताब्दी में निर्मित हुआ था। यह मंदिर 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ को समर्पित है और अपनी अद्भुत स्थापत्य शैली तथा विस्तृत नक्काशियों के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर का नाम 'नवलखा' इसलिए पड़ा क्योंकि इसके निर्माण में नौ लाख रुपये की लागत आई थी, जो उस समय एक बड़ी राशि मानी जाती थी। पाली शहर के केंद्र में कलेक्ट्रेट के पीछे स्थित यह मंदिर, जैन धर्म के अनुयायियों और पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र है।

सतलोक आश्रम सोजत

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सोजत में भव्य सतलोक आश्रम सोजत बना हुआ है। यह आश्रम जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के द्वारा संचालित है। आश्रम लगभग 37 एकड़ में फैला हुआ है। आश्रम में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हैं। जैसे कि आने वाले श्रद्धालुओं के लिए 24 घंटे निशुल्क भंडारे और अल्पाहार में चाय बिस्किट की व्यवस्था रहती है।आश्रम में श्रद्धालुओ के लिए नहाने और ठहरने की निःशुल्क व्यवस्था है। नाम दिक्षा लेने वालों के लिए भी आश्रम के अन्दर निःशुल्क नाम दिक्षा की व्यवस्था की गई है। आश्रम के बाहर 12 एकड़ में पार्किंग स्थल बना हुआ है। आश्रम से 8 km दूरी पर सोजत सिटी है जहां पर हमेशा आश्रम की बस सुविधा रहती है जो निःशुल्क आश्रम लाने ले जाने की व्यवस्था है। आश्रम में समागमों पर विशाल भण्डारे, दहेज मुक्त विवाह व रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाता है।

जवाई बांध

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जवाई बांध राजस्थान के पाली जिले में स्थित एक प्रमुख जलाशय है, जो जवाई नदी पर 1957 में निर्मित हुआ था। इसका निर्माण जोधपुर रियासत के महाराजा उम्मेद सिंह द्वारा करवाया गया था। यह पश्चिमी राजस्थान का सबसे बड़ा बांध है, जिसकी जल भंडारण क्षमता लगभग 7887.5 मिलियन क्यूबिक फीट है। यह जोधपुर, पाली और जालौर जिलों के लिए पेयजल और सिंचाई का प्रमुख स्रोत है। इसे “मारवाड़ का अमृत सरोवर” भी कहा जाता है। सेई और कालीबोर इसके फीडर बांध हैं। जवाई बांध क्षेत्र जैव विविधता के लिए भी प्रसिद्ध है — यहाँ बड़ी संख्या में मगरमच्छ, तेंदुए और प्रवासी पक्षी देखे जा सकते हैं। यह क्षेत्र प्रकृति प्रेमियों और वन्यजीव फोटोग्राफरों के लिए एक आकर्षक स्थल बन चुका है। शांत वातावरण, पहाड़ियों और जलराशि से घिरा यह स्थल पर्यटन, तीर्थ और पर्यावरण संरक्षण के लिहाज़ से भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।

लखोटिया गार्डन

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लखोटिया गार्डन पाली शहर के केंद्र में स्थित एक सुंदर और शांत उद्यान है, जो लखोटिया तालाब से घिरा हुआ है। इस गार्डन के मध्य में भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर स्थित है, जो श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है। हरे-भरे लॉन, पैदल पथ और बच्चों के खेलने के लिए स्थान इसे पिकनिक और परिवारिक भ्रमण के लिए उपयुक्त बनाते हैं। यह स्थान स्थानीय लोगों के साथ-साथ पर्यटकों को भी आकर्षित करता है। शांत वातावरण, सुंदर प्रकृति और धार्मिक महत्व के कारण लखोटिया गार्डन पाली के प्रमुख पर्यटन स्थलों में शामिल है।

बांगुर संग्रहालय

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बांगुर संग्रहालय पाली में एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक स्थल है, जो शहर के पुराने बस स्टैंड के पास स्थित है। इसका नाम श्री बांगुर जुआर के नाम पर रखा गया है। संग्रहालय में प्रागैतिहासिक औजार, पुरातात्विक मूर्तियाँ, मुगलकालीन सिक्के, राजस्थान की लघु चित्रकला, हथियार और जनजातीय जीवन से संबंधित वस्तुएं रखी गई हैं। यहाँ कुल 326 मूर्तियाँ, 409 सिक्के और अनेक अन्य ऐतिहासिक वस्तुएं प्रदर्शित हैं। बांगुर संग्रहालय पाली की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को समझने के लिए एक प्रमुख केंद्र है, जो पर्यटकों और इतिहास प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र है।

खरीदना

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पाली अपने कपड़ा उद्योग और हस्तशिल्प के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ पर आप सस्ते दामों में अच्छे वस्त्र, साड़ियों, राजस्थानी परिधान, कंबल और सूती कपड़े खरीद सकते हैं। इसके अलावा लकड़ी की नक्काशी, राजस्थानी गहने और पारंपरिक हस्तनिर्मित वस्तुएँ भी यहाँ के बाजारों में उपलब्ध हैं।

प्रमुख बाजार:

गांधी चौक

सूरजपोल बाजार

स्टेशन रोड मार्केट


खाना

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पाली में राजस्थानी व्यंजन बहुत प्रसिद्ध हैं। यहाँ पारंपरिक स्वाद से भरपूर भोजन आसानी से उपलब्ध है।

प्रमुख व्यंजन:

दाल बाटी चूरमा

गट्टे की सब्ज़ी

केर-सांगरी

मिर्ची बड़ा

घेवर और मालपुआ

शहर में कई स्थानीय रेस्टोरेंट और ढाबे हैं, जहाँ शुद्ध शाकाहारी खाना मिल जाता है।

भाषा

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पाली में बोली जाने वाली प्रमुख भाषा मारवाड़ी है, जो राजस्थानी भाषा की एक उपभाषा है।

अन्य भाषाएँ:

हिंदी आमतौर पर समझी और बोली जाती है।

अंग्रेज़ी का प्रयोग सरकारी और औपचारिक स्थानों पर होता है।

पीना

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पाली में पीने के लिए स्वच्छ पानी कई स्थानों पर उपलब्ध है, लेकिन पर्यटकों को बोतलबंद मिनरल वॉटर का उपयोग करना बेहतर होता है।

स्थानीय पेय:

छाछ

बेल का शरबत

गन्ने का रस


सावधानी:

नलों का पानी पीने से बचें।

यात्रा के दौरान हमेशा साफ पानी साथ रखें।

सोना

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पाली में रहने के लिए बजट होटल से लेकर मध्यमवर्गीय और कुछ अच्छे गेस्ट हाउस भी मौजूद हैं।

प्रमुख होटल:

होटल लाइक व्यू

होटल पाली इन

राज होटल एंड रिसॉर्ट


रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड के आसपास कई बजट-फ्रेंडली लॉज भी मिल जाते हैं।