बैतूल भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक नगर पालिका परिषद शहर है। यह बैतूल जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है और नर्मदापुरम संभाग का सबसे दक्षिणी भाग है।
क्षेत्र
[सम्पादन]बैतूल भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक जिला है। यह राज्य के दक्षिणी भाग में स्थित है और सतपुड़ा पर्वत श्रंखला के बीच बसा हुआ है।
शहर
[सम्पादन]बैतूल शहर इस जिले का मुख्यालय है। यह एक शांतिपूर्ण नगर है, जहां शहरी और ग्रामीण जीवन का सुंदर समन्वय देखा जा सकता है।
अन्य जानकारी
[सम्पादन]इतिहास
[सम्पादन]बैतूल का प्राचीन नाम "बड़ादेउल" था, जिसका अर्थ होता है "बड़ा देवालय"। यह क्षेत्र गोंड और अन्य जनजातियों का निवास स्थान रहा है। अंग्रेजों के शासन काल में इसे स्वतंत्र जिला बनाया गया।
तृतीय स्तर शीर्षक
[सम्पादन]बैतूल जिले में कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल हैं, जैसे कि ताप्ती उद्गम स्थल, मुक्तागिरी, आदि।
चतुर्थ स्तर शीर्षक
[सम्पादन]मुक्तागिरी में 52 प्राचीन जैन मंदिर हैं, जो पहाड़ी क्षेत्रों में स्थित हैं और बहुत ही मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करते हैं।
मौसम
[सम्पादन]बैतूल का मौसम सामान्यतः सुखद रहता है। गर्मियों में तापमान 35°C तक जाता है, जबकि सर्दियों में यह 5°C तक गिर जाता है। मानसून के दौरान अच्छी वर्षा होती है।
देखे
[सम्पादन]ताप्ती उदगम
[सम्पादन]ताप्ती नदी का उदगम मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के मुलताई नामक स्थान से होता है, जो सतपुड़ा पर्वतमाला में स्थित है। यह नदी पश्चिम दिशा में बहती है और अरब सागर में मिलती है। ताप्ती की कुल लंबाई लगभग 724 किलोमीटर है और यह मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र तथा गुजरात से होकर गुजरती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, ताप्ती सूर्य देव की पुत्री मानी जाती है। इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ पूर्णा, गिरना और वाघुर हैं। ताप्ती नदी सिंचाई, जल आपूर्ति और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।
बालाजीपुरम
[सम्पादन]बालाजीपुरम मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में स्थित एक प्रसिद्ध धार्मिक और पर्यटन स्थल है। यह मंदिर परिसर भगवान बालाजी (हनुमान जी) को समर्पित है और यहाँ भव्य मूर्तियाँ, सुंदर वास्तुकला और शांत वातावरण देखने को मिलता है। मंदिर परिसर में राम दरबार, शिव मंदिर, गणेश मंदिर और राधा-कृष्ण मंदिर भी स्थित हैं। यहां का निर्माण कार्य दक्षिण भारतीय शैली में हुआ है, जो इसे विशेष आकर्षण प्रदान करता है। बालाजीपुरम न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि पर्यटकों के लिए भी एक सुंदर और शांत स्थल के रूप में जाना जाता है।
सतलोक आश्रम बैतूल
[सम्पादन]आश्रम लगभग 63 एकड़ में फैला हुआ है। आश्रम में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हैं। जैसे कि आने वाले श्रद्धालुओं के लिए 24 घंटे निःशुल्क भंडारे और अल्पाहार में चाय बिस्किट की व्यवस्था रहती है।आश्रम में श्रद्धालुओ के लिए नहाने और ठहरने की निःशुल्क व्यवस्था है। नाम दिक्षा लेने वालों के लिए भी आश्रम के अन्दर निःशुल्क नाम दिक्षा की व्यवस्था की गई है। यह आश्रम जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के द्वारा संचालित है। बैतूल शहर से 9 किलोमीटर दूरी पर है यहां पर हमेशा आश्रम की बस सुविधा रहती है जो निःशुल्क आश्रम लाने ले जाने की व्यवस्था है। आश्रम में समागमों पर विशाल भण्डारे, दहेज मुक्त विवाह व रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाता है।
मुक्तागिरि
[सम्पादन]मुक्तागिरि, जिसे मेंढागिरि भी कहा जाता है, मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के भैंसदेही तहसील में स्थित एक प्रमुख दिगंबर जैन तीर्थस्थल है। यहाँ सतपुड़ा की पहाड़ियों में 52 प्राचीन जैन मंदिर हैं, जिनमें से अधिकांश का निर्माण 10वीं से 16वीं शताब्दी के बीच हुआ था। मंदिर संख्या 10 (मेंढागिरि) एक गुफा मंदिर है, जिसमें भगवान शांतिनाथ की प्रतिमा स्थापित है। यहाँ एक सुंदर जलप्रपात भी है, जो मानसून में विशेष आकर्षण का केंद्र बनता है। मुक्तागिरि न केवल जैन श्रद्धालुओं के लिए, बल्कि प्रकृति प्रेमियों के लिए भी एक शांत और रमणीय स्थल है।
कनक फ़न सिटी
[सम्पादन]कनक फ़न सिटी मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में स्थित एक प्रमुख वाटर पार्क और रिसॉर्ट है, जो खेड़ी सावलीगढ़ में इंदौर रोड पर बैतूल शहर से लगभग 16 किमी दूर स्थित है। यहाँ बड़े वाटर स्लाइड्स, वेव पूल, रेन डांस फ्लोर, स्विमिंग पूल और बच्चों के लिए विशेष जोन जैसी सुविधाएँ उपलब्ध हैं। यह स्थान परिवारों और दोस्तों के साथ एक दिन की पिकनिक के लिए आदर्श है, जहाँ मनोरंजन और आराम दोनों का आनंद लिया जा सकता है। कनक फ़न सिटी बैतूल के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है, जो सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
यात्रा
[सम्पादन]बैतूल तक पहुंचने के कई साधन उपलब्ध हैं।
वीजा
[सम्पादन]विदेशी पर्यटकों को भारत आने के लिए वैध वीजा की आवश्यकता होती है।
विमान द्वारा
[सम्पादन]बैतूल में कोई हवाई अड्डा नहीं है। सबसे नजदीकी हवाई अड्डा नागपुर (महाराष्ट्र) है, जो लगभग 180 किमी दूर स्थित है।
बस द्वारा
[सम्पादन]बैतूल मध्य प्रदेश के प्रमुख शहरों से बस सेवा द्वारा जुड़ा हुआ है। यहां से भोपाल, नागपुर, इंदौर और जबलपुर के लिए नियमित बसें उपलब्ध हैं।
रेल द्वारा
[सम्पादन]बैतूल एक महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन है जो दिल्ली-चेन्नई मुख्य मार्ग पर स्थित है। यहां से देश के अनेक शहरों के लिए सीधी ट्रेनें मिलती हैं।
खरीदना
[सम्पादन]बैतूल में आप स्थानीय हस्तशिल्प, आदिवासी कला, और बांस की बनी वस्तुएं खरीद सकते हैं। यहाँ के हाट-बाज़ारों में ग्रामीण संस्कृति की झलक मिलती है। इसके अलावा बैतूल की मंडियों में जैविक कृषि उत्पाद और वन उत्पाद जैसे महुआ, चिरौंजी, तेंदूपत्ता आदि भी खरीदे जा सकते हैं।
खाना
[सम्पादन]बैतूल की भोजन शैली में मालवा और आदिवासी प्रभाव देखने को मिलता है। यहाँ के प्रमुख व्यंजन हैं:
दाल-बाफला
बाड़ी (कोरकू समुदाय की डिश)
मक्का और कोदो की रोटी
महुआ की मिठाई इसके अलावा स्थानीय आदिवासी व्यंजनों में जंगली सब्जियाँ और देसी मसालों का उपयोग होता है।
भाषा
[सम्पादन]बैतूल में मुख्य रूप से हिंदी बोली जाती है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में कोरकू, गोंडी, और मराठी का भी प्रचलन है। कोरकू जनजाति की अपनी एक विशिष्ट बोली होती है जिसे संरक्षित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
पीना
[सम्पादन]यहाँ के ग्रामीण और आदिवासी समुदायों में पारंपरिक रूप से:
महुआ की शराब का सेवन होता है (एक स्थानीय पेय जो महुआ फूलों से बनती है)।
इसके अलावा लोग सामान्य रूप से नीम-बेस पानी, जड़ी-बूटी युक्त पेय, और दूध भी खूब पीते हैं।